उत्तर प्रदेश राज्य में कलैक्ट्रेट कार्यालयों के पदों का पुर्नगठन वर्ष 1956 में हुआ था, इसमें कलैक्ट्रेट के पटलों का विस्तार किया गया था, किन्तु गुलाम भारत में गठित हुए कर्मचारी संघ का विधिवत् पंजीकरण न होने व निजी हित को प्रमुखता देने के कारण विधि के न्यायालयों द्वारा कर्मचारी समस्याओं की सहायता लेना असंभव रहा। अतः लोकतांत्रिक नियमों से बिना धरना प्रदर्शन किए कलैक्ट्रेट कर्मचारियों की समस्याओं का व्यापक और स्थायी समाधान निकालने, कर्मचारी समस्याओं पर शोध करने, कठिन समस्याओं पर प्रभावी कार्यवाही करने एवं कर्मचारियों को नियम व विनियमों की जानकारी प्रदान कर उनको अपने पटल के कार्यो में पारंगत करने आदि लक्ष्यों की पूर्ति हेतु कलैक्ट्रेट मुरादाबाद में माह दिसम्बर 1998 में कई जागरूक कर्मचारी नेतागण विमल कुमार बिसारिया, अशोक राजपूत, अवधेश सिंह, पंकज गुप्ता व एस.के.सक्सैना आदि द्वारा कई बैठकों का आयोजन किया, जिसमें पर्याप्त विचार-विमर्श पश्चा्त एक ऐसे कर्मचारी संगठन की स्थापना करने पर विचार किया गया, जोकि विधि द्वारा पंजीकृत हो, निष्पक्ष कार्य करे एवं नए व कम जानकार कर्मचारियों को सभी प्रकार के शोषण से बचा सके। इसी क्रम में उक्त योजना को अंतिम रूप देते हुए दिनॉक 1 जनवरी 1999 को कलैक्ट्रेट कर्मचारी कल्याण समिति का गठन किया गया एवं इसके स्मृति पत्र व नियमावली को स्वीकृति प्रदान की गयी। जिसने समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करने के बाद दिनॉक 26.05.1999 को पंजीकरण होने के बाद इसने अपना विधिक स्वरूप प्राप्त किया।
इस कार्य की महत्वता को दृष्टिगत रखते हुए कलैक्ट्रेट के तत्कालीन वरिष्ठ कर्मचारियों जैसे श्री नवीन शर्मा, अंबरीश शर्मा, सरताज सिद्दीकी, गुलजार अहमद, हरि बाबू गर्ग व बाबूराम, जिलाध्यक्ष, कलैक्ट्रेट कर्मचारी संघ आदि के सानिध्य में दिनॉक 27.05.1999 को कलैक्ट्रेट कर्मचारी कल्याण समिति, रजि0 के कार्यालय एवं लघु पुस्तकालय का उद्घाटन किया गया। इसके बाद समिति ने एक के बाद एक कर्मचारियों की निजी व सेवा संबधी समस्याओं के समाधान हेतु कार्य शुरू कर दिया। वर्ष 2009 में समिति के प्रमुख पदाधिकारियों को योजनाबद्ध तरीके से तहसील स्थानान्तरण करा दिया गया, इस बाद 2013 में समिति के पदाधिकारियों को सूचित किए बिना तत्कालीन नाजिर सदर व कुछ अन्य कुटिल कर्मचारीगणों ने उच्च अधिकारियों को गुमराह कर समिति के कार्यालय को नष्ट करवा दिया और उसके सभी महत्वपूर्ण अभिलेख व पुस्तकों को गायब कर दिया गया। जिसका संज्ञान समिति के प्रमुख पदाधिकारियों को होने पर प्रकरण जिला प्रशासन के संज्ञान में लाया गया, जिस संबध में तत्कालीन अपर जिलाधिकारी-नगर द्वारा घटना की जॉच हेतु नगर मजिस्ट्रेट-मुरादाबाद को जॉंच सौंपी जोकि आज तक निष्कर्ष पर नहीं पहुॅच सकी। किन्तु इस दौरान समिति को एक नया कक्ष कार्यालय हेतु प्रभारी अधिकारी-नजारत द्वारा उपलब्ध कराया गया। जिसमें समिति के कार्यो की शनेः शनैः पुनः शुरूवात की गयी किन्तु अभिलेख उपलब्ध न होने के कारण दर्जनों तत्कालीन कर्मचारियों व अन्य लोगों की सहायता ली गयी, जो दिसम्बर 2018 में पूर्ण हो सकी। तब तक कलैक्ट्रेट में सामान्य कर्मचारियों के प्रति अन्याय का साम्राज्य स्थापित हो चुका था, कर्मचारियों का चेहरा, गुट आदि देखकर सेवा संबधी लाभ दिये या रोके जाने लगे। ऐसी दशा में सभी अच्छे विचार वाले कर्मचारियों को संगठित कर पुनः समिति की प्रबन्धकारिणी का गठन दिनॉक 10 फरवरी 2019 को किया गया। नवीन प्रबन्धकारिणी की सभी पदाधिकारीगण कर्मचारी हित में कार्य करने व सभी प्रकार के विद्वेशपूर्ण भेदभाव व अन्यायपूर्ण कार्यवाहियों का विधिक माध्यम से विरोध करने हेतु कटिबद्ध हैं। हम आशा करते हैं कि इस वेबसाइट के माध्यम से उत्तर प्रदेश के सभी संवर्गो के कलैक्ट्रेट कर्मियों में आपसी संवाद बढेगा, विचारों का आदान-प्रदान सहित सहकारिता का भावना का विकास होगा। सभी कर्मचारियों का पूर्ण सहयोग अपेक्षित है और रहेगा । इस संगठन को प्रदेश स्तरीय बनाने के उद्देश्य से, भारत सरकार के अधिनियम संख्या ii वर्ष 1882 के अंतर्गत विधिवत पंजीकृत कराया जा चुका है।
कर्मचारी एकता जिंदाबाद
एस ० के० सक्सैना, एल ० एल ० एम ०
अध्यक्ष
श्रीमती अनीता रानी , बी ० ए ०
सचिव